Monday, 18 February 2019

Bullet for my Valentine - Part I

14 February  की सुबह थी । अरफ़ा और अर्पिता  चेह-चाचा रहीं थी । उस बंद पंछी की तरह जिसके अचानक खुला आसमान मिल गया हो । हो भी क्यों ना ?! । पिंजरा जो तोड़ा था उन्होंने - रूढ़िवादी और दकियानूसी सोच का । और ऊपर से सर्दियों की छुट्टी ख़तम होने के इतने रोज़ बाद जो वो आये थे अपने इस देहरादून के कॉलेज में । दोनों  का  ताल्लुख  मोरादाबाद  के एक  छोटे  से  कसबे  से  था, विद्यालयी  शिक्षा  दोनों  ने ही सरकारी  स्कूल  में  हासिल  की  थी । अर्पिता  की  पिता  एक  इमान्दार  सरकारी  मुलाज़िम  थे  इसलिए  अपनी  लड़की  को  कान्वेंट  में  न   पढ़ा  सके। तो  अरफ़ा   के    वालिद , हाफिज  साहेब  की  मज़ार  के  बहार  फूलों  का  छोटा  व्यवसाय  करते  थे ,जो  थोड़ा  बहुत भी  कमाते  थे  वो  बेगम  के शुगर  की  इलाज  में  चला  जाता था । 

अब  जैसा  की  अक्सर  यौवन  में  होता  है , गर्म  खून प्रायः   समाज  की  बेड़ियों  को  पिघलाने  का  भरसक  प्रयास  करता  है । इन  युवतियों  नें  भी  कुछ  ऐसा  ही  किया  था । सड़कछाप  मजनुओं , गायब  सरकारी  अध्यापकों  , तंज  कसने  वाले  रिश्तेदारों  की  बाधा  पार  करके बारहवीं पास की थी इन्होने । पर  एक  बाधा  नहीं  पार  कर  सकी वे , "entrance exam"  की  बाधा । शायद  इसलिए  कि  और समस्याओं   से  झूझते -झूझते  वे   पहले  ही  और  अभ्यर्थियों  से  पीछे  हो  गयीं  थी , और  ऊपर  से  अनारक्षित । या  शायद  इसलिए  कि  उन्होंने  खवाब  ही   नहीं  देखा  उतना  बड़ा । कुवें  का  मेंढक  कहाँ  ही   जानता  है , सावन  कि  रिमझिम  में  टर -टर  करने  का  आनंद ,उससे  तो  बस  दम  घोटने  वाली स्याह  दीवारों  से  ही  निजात  चाइये ।

But the girls did get their "Apna Time Aaega" moment. When their respective brothers, much to the exasperation of their families, decided to support their further education. Thanks to patriarchy(witty ?! :P), Arfa got fashion designing and Arpita got a Nursing course. The fact that they initially had wanted mechanical and civil engineering did not cause much heartburn. नंगा  नहायेगा  क्या  और  निचोड़े  गए  क्या ?
किशोरावस्था  और  नग्न -अवस्था  का  वैसे  भी  चोली  दमन  का  साथ  है । देहरादून  में  दाखिला  लेने  की  बाद   दोनों  कुमारियों  को  पहली  बार  "अपने  आप" को  जानने  का  मौका  मिला । उन्हें  यह  अहसास  हुआ  कि  उनके  अंदर  सिर्फ  एक  बेटी   और  एक  बेहेन  का  किरदार  ही  नहीं  अपितु  एक  भाग्यश्री  का  भी  वास  है ।
फिर  क्या  था , जैसे  महकते   पुष्प  की  गंद  भवरों के समूह  को  अपनी  ओर  खींचती  है , और  पवन  के  वेग  में  कुमुदिनी जैसे  इठलाती  है  । उसी  तरह , देहरादून  की  फ़िज़ा  उनके  यौवन  की  महक  से  पटी सी  लगती  थी । शनैः शनैः , उन्हें  वो  भ्रमर मिल  गया  जिसे  वो  अपने  पराग -कण  के  योग्य  समझती  थी ।

 14 February  वो  दिन  है  जब  युगलों  की  मोहबत्त  अपने  पुरे  शबाब  पर  रहती  है । हमारी  कहानी के  ये  दो  किरदार  भी  कहाँ  पीछे  रहने  वाले  थे । PG  के  कमरे  में  बैठे  RedFM के  गाने  सुनते  हुए  वो  दोनों  nail paint के  उपयुक्त  रंग  को  लेकर  गहरी  मंत्रणा  कर  रहीं  थी । पोषाक  तो  उनके  भवरों   नें  gift  कर   ही  दी  थी , शाम  को  EVOC Entertainment की  DJ party  में  entry का  जुगाड़  भी  हो  ही  गया  था ।"O Ladki ,Aakh maare !" की  धुन  पर   ठुमके  लगाने  की  प्रैक्टिस  उन्होंने  अपने  पुरे  सेमेस्टर  में  किये  गए  प्रश्नो  से  ज्यादा  बार  कर  ली  थी । इसलिए  जैसे  ही  FM पर  यह  गाना  बजा , दोनों  का  शरीर  एकाएक  सुनियोजोइत  तरीके  से  थिरकने  लगा ।
नृत्य की थकान से उबरने की लिए दोनों बिस्तर पर आलू की बोरी के सामान गिरी , पलभर बाद ही दोनों खी खी कर खीसें पोरने लगीं । 
मानो  अपनी  चुलबुलता  पर  कोई  नवजात  खुद  ही  आत्म-मुग्ध  हो  रहा हो ।


12 बज  चुके  थे , 4 बजे  तक  उन्हें  अपने  गंतव्य  पर  पहुंचना  था । समय  की  अल्पता  का  ज्ञान , मनुज  की  कार्य  गति  और  दक्षता  को  सानुपातिक  रूप  से  बड़ा  देता  है  । Nail paint लग  गया  था, Maybelline का  मस्कारा  और  Gucci की सैंडल बाहर निकल  गए  थे ।ये बात और है कि ये दोनों ही First Copy थे । पर  सबसे  चुनौतीपूर्ण  कार्य  अभी  बाकि  था -Waxing। अरफ़ा  को  waxing पसंद  नहीं  थी । मूलतः  इसलिए  कि  अर्पिता  को  waxing करने  का  सही  ढंग  नहीं  आता  था ,जिसकी  वजह  से  अरफ़ा  को  हर  बार  बहुत  कष्ट  से  गुजरना  पड़ता  था  । दूसरा  इसलिए  भी  कि  उससे  "Abaya"  और  "Hijab " पहनना   अच्छा  लगता  था , जिसमे  वैसे  भी  वो  दुनिया  को  उसकी  waxing के  दौरान  दिखाई  गयी सहनशीलता   का  प्रमाण  नहीं  दिखा  सकती । पर  आज  कुछ  खास  था । आज  तो  वे  दोनों  Brazilian Waxing की  बारे  में  भी  विचार कर रहे थे ।

अन्ततः  जैसा कि आज सब जगह हो रहा  है, Logic and reason gave way to passions and emotions
अरफ़ा  नें  अपने  आप  को  अर्पिता  के   सिपुर्द कर  दिया । Her desire for external confirmation of her beauty perhaps gave her the will to overpower her fear of pain। जैसे  जैसे  गरम  मोम कि  परत  अरफ़ा  के  बदन  पर  फैली  और  फिर  उतरी  ,उसके  चहरे   की  भाव  -भंगिमाएं  भी  बदलती  रही ।।मन - ही -मन  बुदबुदा  रही  थी  शायद , सुंदरता  का   ये  क्या  पैमाना  है  ?!। इस हिसाब  से  तो  मोरिनि  ज्यादा  खूबसूरत  होनी  चाइये  एक  मोर  से ।इस  तरह  के  विचार  और   FM पे  मधुर  गीत  ही  इस  दर्द  से  डूबते  हुए  का  सहारा  थे । पर नियति  भी  बहुत  निष्ठुर  होती  है , जब  अपनी  पर  आती  है  तो  तिनका  तक  छीन  लेती  है ।

गाने  थम  गए  और उसकी जगह  एक  भारी ,गंभीर  आवाज़  नें  ले  ली  , FM से  खबर  सुनाई  दी  कि  Pulwama  में  आतंकियों  नें  सबसे   बड़ी  वारदात  को  अंजाम  दिया  है , 40 CRPF के  सिपाही  हमले  में  शहीद  हो  चुके  हैं ।


अर्पिता  नें  जोर  से  मोम  कि   परत  नोचते  हुए  ,बिना  चेहरे  पर  शिकन  लाये  बोला , ये  साले  सारे  मुल्ले  ऐसे  ही  होते  हैं , जिस  थाली  में  खाते  हैं  उसी  में  छेद  करते  हैं । सब  porkistan ही  चले  जाओ  ना  !

अरफ़ा  करहाई  , उसकी  आंखे  नम  थी ,पता  नहीं  उससे  किस  चीज़  से  ज्यादा  दर्द  हुआ  था  waxing से  या  अपनी  सहेली  के  शब्द बाण  से ।


-To be continued.

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